कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव की नगरी काशी में देव दीपावली का आयोजन पूरे हर्ष और उल्लास के साथ किया और देव दीपावली के इस महापर्व में काशी के सभी 84 घाटों पर 10 लाख दीपक जलाए गए और दुल्हन की तरह सजाया गया. देव दीपावली पर घाटों के साथ-साथ शहर के कुंड, तालाब, सरोवर, पोखरा, मंदिर आदि स्थानों पर दीप जलाए गए। कई जगहों पर भव्य आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास के पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवी-देवता काशी के गंगा घाट पर उतरे और दीये जलाकर दीपावली मनाई थी। इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है। इसी परम्परा के तहत दुनियाभर के श्रद्धालु हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर पावन नदियों में स्नान कर दीपदान करते हैं और देवताओं से आशीर्वाद लेते हैं।
देव दीपावली पर्व पर भक्तो की भीड़ भाड़ को देखते हुए सुरक्षा की कड़ी तैयारी रही जिसके तहत कशी के सभी 84 घाटों को 9 जोन,16 सेक्टर और 32 सब सेक्टर में बांटा गया है. प्रत्येक जोन की जिम्मेदारी जिले के डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी को दी गई. वहीं महिलाओं की अलग से सुरक्षा के लिए भी 17 एंटी रोमियो स्क्वायड की टीम को घाटों परतैनात किया गया है. बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर उतरने वाले यात्रियों का धूमधाम से स्वागत किया गया गया। भीड़ का आलम यह था कि दोपहर बाद से ही घाट की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया। काशी के घाटों पर भीड़ दोपहर से ही जुटने लग गयी थी। घाटों की ओर जाने वाली सड़क, रास्तों पर बैरीकेडिंग कराने के साथ ही पुलिस के साथ पीएसी और एनडीआरएफ के जवान भी मुस्तैद रहे।
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