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कहा जाता है कि काशी में जीवन की अंतिम सांस लेने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लोग सदियों से यहां आकर अंतिम सांस लेना चाहते हैं। मोक्ष की नगरी कहे जाने वाले काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के दरबार में मुमुक्षु भवन का भी उद्घाटन हो गया है, जिसका नाम बैधानाथ हॉल रखा गया है. काशी का यह तीसरा मुमुक्षु भवन होगा जहां श्रद्धालुओं की मोक्ष की कामना पूरी होगी।

पूरी तरह से निशुल्क इस मुमुक्षु भवन में श्रद्धालु अंतिम सांस तक निवास कर सकेंगे जिसका का काम मुंबई की तारा संस्था ने संभाल लिया है। उद्घाटन होते ही इस भवन में 7 बुजुर्गों ने अपने जीवन की अंतिम सांस लेने के लिए यहां पंजीकरण भी करा लिया है।

कुल 40 बेड के साथ दो मंजिला है मुमुक्षु भवन

इस दो मंजिला भवन में पहले चरण में कुल 40 बेड के साथ 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों को रहने की अच्छी व्यवस्था की गई है। सोने के लिए अच्छा बिस्तर, तकिया और अच्छे खाने के साथ ये सभी व्यवस्थाएं मंदिर प्रशासन की ओर से बिल्कुल निशुल्क हैं। मुमुक्षु भवन में रहने वाले सभी श्रद्धालु नियमित रूप से गंगा स्नान के साथ ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन का लाभ भी ले सकेंगे। इसके साथ ही उनके लिए शिव महापुराण कथा, रामचरित मानस और भजन-कीर्तन का भी इंतजाम किया गया है।

मोक्षार्थियों के लिए रहेगा केयर टेकर
मुमुक्षु भवन को संभालने वाली संस्था के स्थानीय प्रबंधक श्री कौमुदीकांत आमेटा ने बताते हे कि परिजनों और बुजुर्ग की सहमति के बाद ही पहचान पत्र के आधार पर उनको यहां रखा जाएगा। जिनके लिए चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ देखभाल करने वालों की भी व्यवस्था की गई है और वे खाने-पीने, कपड़े धोने के साथ-साथ उनकी देखभाल करेंगे।

यहां आने के बाद बारबार घर नहीं जाने दिया जाएगा। मुमुक्षु भवन से निकलने वाले किसी भी व्यक्ति को दोबारा प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

काशी में अस्सी और गोदौलिया पर पहले से है मुमुक्षु भवन

काशी में दो मुमुक्षु भवन पहले से ही अस्सी और गोदौलिया क्षेत्र में चल रहे है। अस्सी के मुमुक्षु भवन में मोक्षार्थियों के अलावा वृद्धजन भी आते हैं और रहते हैं। गोदौलिया स्थित मुक्ति भवन में मोक्षार्थी को 15 दिन के लिए ही एक कमरा दिया जाता है। निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद, स्वास्थ्य में सुधार होने पर इन मोक्षार्थी को वापस भेज दिया जाता है। वहीं मोक्षार्थी की हालत गंभीर होने पर उसे 15 दिन और मिलते हैं।

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